चीन ने जिनान में लगाया 50 मीटर ऊँचा विशाल गुब्बारा, निर्माण स्थल की धूल और शोर से बचाने के लिए


चीन ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनोखा कदम उठाया है। शेडोंग प्रांत के जिनान शहर में एक निर्माण स्थल को ढकने के लिए एक 50 मीटर ऊँचा और 20,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाला विशाल इन्फ्लेटेबल (फुलाव वाला) गुंबद लगाया गया है। इस गुंबद का उद्देश्य निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल और शोर को रोकना है ताकि आसपास के लोगों को असुविधा न हो।

क्या करता है यह गुंबद?
यह गुंबद 90% तक धूल के कणों को पकड़ सकता है और 40 से 80 डेसिबल तक शोर को कम करता है।

इसके अंदर चार शक्तिशाली फैन और HEPA-ग्रेड एयर फिल्टर लगे हुए हैं, जो हवा में मौजूद महीन धूल को रोकते हैं।

यह गुंबद नकारात्मक दबाव (negative pressure) पर काम करता है जिससे धूल बाहर नहीं जा पाती।

इसकी बनावट और तकनीक
यह गुंबद PVDF कोटेड पॉलिएस्टर से बना है और इसे स्टील केबल्स से मजबूती से बांधा गया है।

इसमें पारदर्शी हिस्से हैं, जिससे प्राकृतिक रोशनी अंदर आती है और मजदूरों को दिन में भी रोशनी की जरूरत नहीं पड़ती।

गुंबद के अंदर एक स्मार्ट सिस्टम लगा है जो तापमान, वायु दबाव और नमी को नियंत्रित करता है।

चीन की बड़ी योजना का हिस्सा
इससे पहले बीजिंग में भी ऐसे गुंबद का प्रयोग हो चुका है।

यह पहल चीन की 2030 तक हरित और ध्वनि रहित निर्माण के लक्ष्य का हिस्सा है।

सरकार का मकसद है कि शहरी क्षेत्रों में निर्माण कार्य लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर न डाले।

सोशल मीडिया पर वायरल
यह गुंबद TikTok और चीनी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
एक वीडियो में दिखाया गया कि कैसे यह गुब्बारा कुछ ही मिनटों में फूल कर पूरा निर्माण स्थल ढक लेता है।
लोगों ने इसे “भविष्य की कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी” कहा।

क्यों है यह महत्वपूर्ण?
लाभ विवरण
स्वास्थ्य सुरक्षा निर्माण स्थल से निकलने वाली धूल सांस से जुड़ी बीमारियों का कारण बनती है, जिसे यह गुंबद रोकता है।
ध्वनि प्रदूषण में कमी आस-पास के निवासी तेज़ शोर से राहत महसूस करते हैं।
पर्यावरण के अनुकूल निर्माण कंपनियां पर्यावरण मानकों का पालन कर सकती हैं।
तेज़ और लचीली तकनीक यह गुंबद कम समय में लगाया और हटाया जा सकता है।

जिनान में लगाया गया यह विशाल गुंबद न सिर्फ तकनीकी नवाचार है, बल्कि यह दुनिया को दिखाता है कि तेजी से बढ़ते शहरों में भी निर्माण कार्य को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सकता है। यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो अन्य शहर भी इसे अपनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

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